tag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post1540648432181536815..comments2024-01-05T07:23:33.533+05:30Comments on लमहा -लमहा: प्रज्ञा पांडेयhttp://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-41715851815230222782009-11-08T21:16:03.305+05:302009-11-08T21:16:03.305+05:30सभ्यतायें पहन ,तुम होते हो वहशी .....................सभ्यतायें पहन ,तुम होते हो वहशी ..................वाह क्या बात लिखी यार .....कमाल !!!!!!!!!सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-42862109749252109062009-11-02T17:15:22.702+05:302009-11-02T17:15:22.702+05:30सुंदर कविता, गंभीर और सरोकारों से पूर्ण. बधाई
SA...सुंदर कविता, गंभीर और सरोकारों से पूर्ण. बधाई<br /><br /><br />SANJAY KUMAR <br />HARYANA<br />http://sanjaybhaskar.blogspot.comसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-53374405427034224932009-10-30T11:48:24.824+05:302009-10-30T11:48:24.824+05:30इस चुप्पी को पीसता है
खेत में खडा बिजूका
जो आँधियो...इस चुप्पी को पीसता है<br />खेत में खडा बिजूका<br />जो आँधियों में<br />गिर गया है लगता<br />चुप्पी साधती है मौन<br />और होती है युद्ध रत<br />निरंतर !<br />यह चुप्पी आत्महंता की<br />होती है खतरनाक<br />कहती है है पूरी बात<br />करती है पूरा घात !<br />नए शब्दों और अर्थों से युक्त कविता....सुन्दर रचना.Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-47610436980258127582009-10-29T11:45:26.735+05:302009-10-29T11:45:26.735+05:30प्रज्ञा ! बहुत शोर सुनते थे पहलू में चीरा,
तो कतर...प्रज्ञा ! बहुत शोर सुनते थे पहलू में चीरा,<br />तो कतरा -ए-खून न निकला !जाने कितने <br />दुःख दर्दों की दस्ताने होठों में ही सिल देती <br />थीं औरते ,और बाकि लोग गंगा नहा लेते <br />थे !आज ब्रम्हांड से उठा लाई-चुप्पी !न सिर्फ <br />चुप्पी तोडी ,समाज और साजिश रूपी धर्म <br />को भी बेनकाब किया ! आज साहित्य के <br />बडे लोग भी इस बात को मानते है !मेरी <br />शुभ कामनाएं स्वीकार करो !<br /> इन चुप्पियों को तो एक न एक दिन <br /> चौपाल में तो आना ही है ........!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-89403581216198336652009-10-29T11:12:17.897+05:302009-10-29T11:12:17.897+05:30आपकी कविताएं..सदियों की चुप्पी का विस्पोट हैं..बेह...आपकी कविताएं..सदियों की चुप्पी का विस्पोट हैं..बेहद मार्मिक और तल्ख. मारक क्षमता किसी मिसाइल सी है..मैं शायद इसीलिए कविताओं से बचती हूं.लिखने पढने दोनों से.इन्हें पढने के बाद मैं किसी काम की नहीं रह जाती। रगों में जैसे कुछ घुस आया है.प्रज्ञा..कविताए एसी क्यों होती हैं..अब क्या करुं.geetashreehttp://hamaranukkad.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-7475248737544987482009-10-28T09:34:42.202+05:302009-10-28T09:34:42.202+05:30हाशिये पर
जब रुक जाता है वक़्त
इस चुप्पी की खातिर...हाशिये पर <br />जब रुक जाता है वक़्त<br />इस चुप्पी की खातिर<br />लोग गंगा में नहाते हैं<br />की शायद<br />धुल ही जाए गर्भ का खून<br />पर वह धुलता नहीं<br />किसी तरह <br />चुप्पी बनाती जाती है<br />सन्नाटों के चक्रव्यूह !<br />चक्रव्यूहों के चक्रव्यूह !<br />इस चुप्पी को पीसता है<br />खेत में खडा बिजूका<br />जो आँधियों में<br />गिर गया है लगता<br />चुप्पी साधती है मौन<br />और होती है युद्ध रत<br />निरंतर !<br />यह चुप्पी आत्महंता की<br />होती है खतरनाक<br />कहती है है पूरी बात<br />करती है पूरा घात.......<br /><br />waaqai mein khaamoshi ki bhi apni zabaan hoti hai.......... aapki lekhni ko naman.........bahut achchci lagi yeh kavita........डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-61789776579025224862009-10-28T07:08:46.308+05:302009-10-28T07:08:46.308+05:30कमाल की शुरुआत ...शब्द पैने..हिये में उतर जाने वाल...कमाल की शुरुआत ...शब्द पैने..हिये में उतर जाने वाले ..भावः प्रखर लेकिन संयोजन पक्ष कमजोर है ..शब्द का moh.. विस्तारमोह कविता को बाधित करते हैंश्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-60376011122438231732009-10-28T01:20:02.553+05:302009-10-28T01:20:02.553+05:30प्रज्ञा जी,
आपका आना हमारे ब्लॉग पर, किसी श्रीचरण ...प्रज्ञा जी,<br />आपका आना हमारे ब्लॉग पर, किसी श्रीचरण से कम नहीं है, आगंतुक कई होते हैं और सभी आदरणीय हैं, लेकिन कुछ एक मन में ही घर बना जाते हैं फिर वो आगंतुक नहीं घर के ही हो जाते हैं....और जब अपना कहा है तो फिर धन्यवाद कह कर आपको दूर नहीं करुँगी...<br />आपकी कविता ....!<br />देखिये न कितने धुरंधरों ने कितनी अच्छी बातें कह दीं हैं...किशोर जी, दिगंबर जी, कृष्णबिहारी जी और अमरजीत जी इत्यादि के सन्मुख मेरी कोई हैसियत ही नहीं है......आपकी कविता कितनी जीवंत, सारगर्भित और समय-सामयिक है यह तो प्रत्यक्ष है....समाज को आईना दिखाती, कितने ही prashno को जन्म देती हुई आपकी कविता...बहुत ही अच्छी लगी....स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-79118946289845672412009-10-27T11:20:40.439+05:302009-10-27T11:20:40.439+05:30प्रश्न खड़े करती शशक्त रचना. गम्भीर वेदना से भरी.प्रश्न खड़े करती शशक्त रचना. गम्भीर वेदना से भरी.BAD FAITHhttps://www.blogger.com/profile/04060899841399034989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-41952418937365579132009-10-27T09:11:56.332+05:302009-10-27T09:11:56.332+05:30सुंदर कविता, गंभीर और सरोकारों से पूर्ण. बधाई !सुंदर कविता, गंभीर और सरोकारों से पूर्ण. बधाई !के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-22555566341157877232009-10-26T19:46:23.563+05:302009-10-26T19:46:23.563+05:30chuppi ki apni jaban hai yah kavita.
krishnabihari...chuppi ki apni jaban hai yah kavita.<br />krishnabihariAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-55046933947766176672009-10-26T19:23:56.026+05:302009-10-26T19:23:56.026+05:30उफ़ ......... कितना दंश है आपकी रचना में ...... सम...उफ़ ......... कितना दंश है आपकी रचना में ...... समाज के सामने अनगिनत प्रश्न खड़े करती शशक्त रचना .... नमन है मेरा आपकी लेखनी को ......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-68372322117787949822009-10-26T18:46:31.886+05:302009-10-26T18:46:31.886+05:30bahut khub...chup aur maun aur khamoshi me bhi ek ...bahut khub...chup aur maun aur khamoshi me bhi ek apni shakti hoti hai jo nazar chahe nahi aati par kisi na kisi dhratal par asar zarur chhodti hai.....Dr. Amarjeet Kaunkehttps://www.blogger.com/profile/07955200308347293513noreply@blogger.com