tag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post8227221425211640587..comments2024-01-05T07:23:33.533+05:30Comments on लमहा -लमहा: प्रज्ञा पांडेयhttp://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-71400682187610791262010-04-25T20:06:44.631+05:302010-04-25T20:06:44.631+05:30ye kavita nahi manthan hai ye to bahut bada chinta...ye kavita nahi manthan hai ye to bahut bada chintan haiAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18305113380421859243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-43106094383361505752009-11-02T17:26:08.407+05:302009-11-02T17:26:08.407+05:30गंभीर कविता
विमर्श
लिखने लगते हैं शब्द
SANJAY KUM...गंभीर कविता<br />विमर्श<br />लिखने लगते हैं शब्द<br /><br />SANJAY KUMAR <br />HARYANA<br />http://sanjaybhaskar.blogspot.comसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-11421918713616422972009-10-26T11:15:31.192+05:302009-10-26T11:15:31.192+05:30औरत.... क्या है औरत?
जन्म के समय जिसे न वो प्यार म...औरत.... क्या है औरत?<br />जन्म के समय जिसे न वो प्यार मिले,<br />जिसे दो वक़्त कि रोटी भी उधर मिले,<br />जो भाइयो के लिए अपनी पढाई का त्याग करे,<br />माँ-बाप के वात्सल्य का जो इन्तेजार करे... वही है औरत<br /><br />जिसकी उम्र के साथ लोगों कि निगाहें बढ़ने लगे<br />हर चौक से गुजरने में जिसे डर लगने लगे<br />हर अजनबी को देख जिसकी धड़कने बढ़ने लगे<br />जो घर में भी सुरक्षित न महसूस करे... वही है औरत<br /><br />जिसे पेट भरने कि खातिर अपनी देह बेचनी पड़े<br />जिसे हर बात पर पुरुषों के जुल्म सहने पड़े<br />जिसे सबके साथ भी अकेले रहना पड़े<br />जो कभी अपना दुःख किसी से न कह सके... वही है औरत<br /><br />और आज की औरत पर एक नजर....<br />जिसके १०-१२ प्रेमी हो और उसके नखरे सहे<br />जिसके शादी के बाद भी एक दो प्रेम-सम्बन्ध रहे<br />जिसकी हर बेजरूरत चीजों के लिए उसका पिता फिर पति सहे<br />जो किटी पार्टी में बैठ ससुराल की बुराई करे<br />जिसे बच्चे बिगड़ रहे है इसका ध्यान न रहे<br />जिसे घर कि किन्ही बातों का ज्ञान न रहे... वो भी है औरत...Crazy Codeshttps://www.blogger.com/profile/13403617601253452747noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-91904496461410827592009-10-26T03:18:25.965+05:302009-10-26T03:18:25.965+05:30और पढ़ने लगते हैं देह बार बार
और फिर करते हैं
वि...और पढ़ने लगते हैं देह बार बार <br />और फिर करते हैं <br />विमर्श!! विमर्श!! विमर्श !! और सिर्फ विमर्श !!<br />...Ek sach, jo sirf vimarsh ban gaya..!!Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-35374448397457977952009-10-25T12:59:19.103+05:302009-10-25T12:59:19.103+05:30विमर्श
लिखने लगते हैं शब्द
उसी देह पर
और पढ़ने लगत...विमर्श<br />लिखने लगते हैं शब्द<br />उसी देह पर<br />और पढ़ने लगते हैं देह बार बार<br />और फिर करते हैं<br />विमर्श!! विमर्श!! विमर्श !! और सिर्फ विमर्श !!<br /><br />निःशब्द हूँ आपकी इस रचना पर .......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-34566412384696763742009-10-23T23:26:59.936+05:302009-10-23T23:26:59.936+05:30पढ्कर लगा जैसे शब्द किसी स्त्री देह पर ही बैठ्कर व...पढ्कर लगा जैसे शब्द किसी स्त्री देह पर ही बैठ्कर विमर्श कर रहे होँ...<br />"वह पहाड मे दरवाजे बना सकती है और हर दरवाजे से पूरा पहाड गुजार सकती है"Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10509112011485678782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-59845249208453905582009-10-21T14:29:11.497+05:302009-10-21T14:29:11.497+05:30didi ji aapne itna accha likha hai ki man ho raha ...didi ji aapne itna accha likha hai ki man ho raha hai ki baar baar aur baar - baar padhta rahooo.<br /><br />didi ji aapko bahut bahut badhai....amrendra "amar"https://www.blogger.com/profile/00750610107988470826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-7609649619220768272009-10-15T17:13:36.027+05:302009-10-15T17:13:36.027+05:30shabdo evam bhavo ka bahut hi khoobsoorat sangam h...shabdo evam bhavo ka bahut hi khoobsoorat sangam hai aapki rachna mein...Ek sachchai ko behad sangitmayee prastutii dii hai aapne...badhaii.Pramod Kumar Kush 'tanha'https://www.blogger.com/profile/08981831872947912755noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-66819765407928678312009-10-09T12:31:19.988+05:302009-10-09T12:31:19.988+05:30wah
pragya ji
bahut hi sunder
इंसान दुनिया में आत...wah<br />pragya ji<br />bahut hi sunder <br />इंसान दुनिया में आता है और चला जाता है<br /><br />लेकिन वह जाने के लिया आता है और आने के लिया जाता है<br /><br />वह रोता हुआ आता है और रोता हुआ जाता है<br /><br />पर क्या कभी सोचा है आपने सबसे ज्यादा वह किसे सताता है<br /><br />देती है जो जन्म उसे और इस दुनिया में लाती है<br /><br />ख़ुद तो जगती है रातों को, लोरी गा उसे सुलाती है<br /><br />वह तो भूखी रहती है लेकिन बच्चे को दूध पिलाती है<br /><br />खिला-पिला कर बड़ा करे और उसको खूब पढाती है<br /><br />और यह सब करने में वह ख़ुद को भूल जाती है<br /><br />आंखों में सपने होते हैं, दिल में होते हैं अरमान<br /><br />इसीलिए वह अपनी सारी खुशिया कर देती है दान<br /><br />दान में खुशिया दे देती है ले लेती है सारे गम<br /><br />होती है ममता उसकी नहीं किसी से कम<br /><br />इस सबके बदले में बेटा देता है क्या माँ को<br /><br />यही समझना है हम सबको, यही सोचना है हम सबको।Kuldeep Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/18083682608623486810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-83639323666786339352009-10-06T19:52:22.259+05:302009-10-06T19:52:22.259+05:30sarahneeya sawal.sarahneeya sawal.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-80937996627997360362009-10-04T11:01:17.494+05:302009-10-04T11:01:17.494+05:30खीज जायज़ है....खीज जायज़ है....पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-37698164338965775462009-10-04T02:26:23.141+05:302009-10-04T02:26:23.141+05:30इतनी तारीफ करके अज्ञात बने रहना . शुक्रुया देने के...इतनी तारीफ करके अज्ञात बने रहना . शुक्रुया देने के लिए कोई पता तो बताईए .. जो भी हों आपको इतने उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद.प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-69001336589425039232009-10-03T22:42:41.654+05:302009-10-03T22:42:41.654+05:30वे देह विमर्श करते हैं
क्या वे चाहते हैं
खोजना
कि...वे देह विमर्श करते हैं <br />क्या वे चाहते हैं<br />खोजना<br />कि<br />औरत को देह बनाने में जुटते हैं <br />wah <br />pragya<br />bahut hi sunder <br />v sahsik bayan hai <br />sidhe saral sabdon mein sampreshit hota <br />aadmi ka sankuchit vyavhaar<br />aurat ko deh samajne ki bhul per prahar kerti ye kavita ...apne vishay ke kshetra mein ek unchavisisth sthan rekhegi...wahAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-58745219145527241512009-10-01T17:36:46.923+05:302009-10-01T17:36:46.923+05:30जब तनती है
तो हों जाती है आकाश
और जब भीगती है
तो ...जब तनती है<br />तो हों जाती है आकाश<br />और जब भीगती है <br />तो जैसे धरती <br />देती है तो ईश्वर सी <br />और मांगती है क्या !<br />वे थाह नहीं पाते हैं<br />और करने लगते हैं<br />विमर्श <br />लिखने लगते हैं शब्द<br />उसी देह पर <br />और पढ़ने लगते हैं देह बार बार <br />और फिर करते हैं <br />विमर्श!! विमर्श!! विमर्श !! और सिर्फ विमर्श !!<br /><br />wah! yeh poori lines bahut achchi lagin.....<br /><br />bahut gahrre bhaav diye hain aapne ismein....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-52289094003965981932009-09-29T19:20:27.142+05:302009-09-29T19:20:27.142+05:30बहुत गहरी बात कही है आपने
गन्दी नज़र वाले लोगों क...बहुत गहरी बात कही है आपने <br /> गन्दी नज़र वाले लोगों के मुंह पर तमाचा हैUnknownhttps://www.blogger.com/profile/18419438692951306123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-16455771975602841622009-09-28T14:03:37.369+05:302009-09-28T14:03:37.369+05:30तो देखती नहीं है
आगे पीछे
और होती है
सर्वहारा सी ....तो देखती नहीं है<br />आगे पीछे<br />और होती है<br />सर्वहारा सी .........<br />कितना दुर्दांत बयान दिया है तमने ! बधाई स्वीकार करो !<br />मेरे कंठ को आवाज दी ! और कलेजे को ठंढक !<br />सर्व हाराओं की पीडा को समाज कब समझेगा ? कब ? कब ?ushmahttps://www.blogger.com/profile/16614535125485445425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-15736597459250366472009-09-26T19:49:14.739+05:302009-09-26T19:49:14.739+05:30जब भीगती है
तो जैसे धरती
देती है तो ईश्वर सी
और...जब भीगती है <br />तो जैसे धरती <br />देती है तो ईश्वर सी <br />और मांगती है क्या .......<br /><br />नारी मन को साक्षात शब्दों में उतारा है आपने ............ बहूत ही कमाल का लिखा है ........ शब्द सीधे उतारते हैं मन के अन्दर ....... लाजवाब .... मोन हूँ इस रचना पर .......दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-46935952434730034662009-09-25T23:39:26.251+05:302009-09-25T23:39:26.251+05:30vicharottejakvicharottejakकुमार क्षितिजhttps://www.blogger.com/profile/04822390732532771671noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-24448418788727992962009-09-25T20:31:34.962+05:302009-09-25T20:31:34.962+05:30great truth u have expressed in a few wordsgreat truth u have expressed in a few wordsAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-18812872830967392642009-09-25T10:15:25.867+05:302009-09-25T10:15:25.867+05:30गंभीर कविता
पढ़ कर कुछ विचार उमड़े, कुछ आँख खुली ......गंभीर कविता<br />पढ़ कर कुछ विचार उमड़े, कुछ आँख खुली ....के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-54160151574507278412009-09-25T04:53:59.143+05:302009-09-25T04:53:59.143+05:30जब तनती है
तो हों जाती है आकाश
और जब भीगती है
तो ...जब तनती है<br />तो हों जाती है आकाश<br />और जब भीगती है <br />तो जैसे धरती <br />पर उस आकाश पर थूकने वाले भी मिलेंगे और फिर धरती का क्या हाल कर दिया है !!<br />बहुत खूबसूरत रचनाM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-33158313017912729162009-09-24T23:01:20.897+05:302009-09-24T23:01:20.897+05:30औरत क्या है जब ये सोचता हू तो
तो यही सोच दिमाग मे...औरत क्या है जब ये सोचता हू तो <br />तो यही सोच दिमाग मे़ आती है - <br />औरत क्या नही है, औरत धरती है<br />औरत एक बच्चे का आसमान है<br />औरत एक समाज की धुरी है <br />औरत एक सभ्यता का जीवित स़स्कार है<br />औरत मा की ममता है, आन्चल का दूध है <br />बिना वाप के बच्चो़ का पिता भी है <br />औरत गुरु है, ग्यान है, गरिमा है <br />औरत बेटी है, रन्गोली है, आन्गन की तुलसी है <br />औरत से घर मे़ मनते सब त्योहार है <br />औरत गीत है कविता है गज़ल है <br />औरत मानवता की किताब के पन्नो पे <br />लिखा एक सुनहरा ललित निबन्ध है <br />औरत हा औरत ही वो अद्भुत शक्ति है <br />जो एक शरीर से कई शरीर बना सकती है <br />भगवान ने कुल एक औरत पैदा की <br />वो औरत है जिसने कई भगवानो और <br />अनगिन भाग्यवानो को जन्म दिया<br />दुनिया मे औरत पे उन्गली उठाने बालो <br />औरत है तो ये दुनिया है उसके बिना<br />आदमी तो क्या आदमी का जीवास्म नही होता<br />औरत के जिस्म को देख के विमर्श करने बालो <br />औरत को देखना है तो दुर्गा के अवतारो को देखोAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-22946628210488164822009-09-24T22:49:27.443+05:302009-09-24T22:49:27.443+05:30कविता देह- विमर्श पर वाजिब सवाल खड़े करती है.दायरा...कविता देह- विमर्श पर वाजिब सवाल खड़े करती है.दायरा मूलतः समाजशास्त्रीय है पर कुछ पंक्तियों में काफी लालित्य भाव से काव्यात्मक ग्लोरिफिकेशन किया गया है, जैसे----<br />"जब तनती है<br />तो हों जाती है आकाश<br />और जब भीगती है<br />तो जैसे धरती<br />देती है तो ईश्वर सी" <br />सपाट प्रश्न के साथ खड़ी कविता में ये पंक्तियाँ कविता में सौन्दर्य का आयाम भी जोड़ देती हैं.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2059978681635639347.post-91119797601827350142009-09-24T21:32:31.414+05:302009-09-24T21:32:31.414+05:30याद है मुझे बस
संदल का भभका
और उसके चेहरे की मुस...याद है मुझे बस <br />संदल का भभका <br />और उसके चेहरे की मुस्कान ,<br />विमर्श ......विमर्श .......विमर्श.सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.com