लमहा -लमहा
अब वक़्त आ गया है कि तुम उठो और अपनी ऊब को आवाज़ दो
बुधवार, 10 जून 2009
सुख और दुःख तो बातें हैं
महसूस करने की.. ...पूरी ज़िन्दगी ही दर्द में लिपटी कविता है...क्यों न खूब जिया जाए इस कविता को और खूब पिया जाए iजीवन को .... !!
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)