शनिवार, 15 मई 2010

घर होती हैं औरते सराय होती हैं


 घर होती   हैं औरते 
                  सराय होती हैं. 
                  अन्नपूर्णा  होती हैं  
                 पुआल  होती है .
ओढना बिछौना सपना  
 मचान होती हैं .
 दुआर  दहलीज  तो  होती हैं 
 सन्नाटा सिवान होती हैं.
खलिहान और अन्न तो होती  हैं 
अक्सर  आसमान होती हैं .
कच्ची मिट्टी घर की भीत
  थूनी  थवार होती हैं .
 बारिशी  दिनों में ओरी से चूती हैं 
पोखर होती हैं सेवार होती हैं . 
अक्सर बंसवार होती हैं .
औरते बंदनवार होती हैं .
छूने पर छुई मुई तो होती है 
 तूफानों  में  
  खेवयिया होती हैं
 पतवार होती हैं.