सोमवार, 29 जून 2009

औरतें तलाशती हैं
छत ,छाजन।
आँचल गीत
खोजती हैं
आकाश थोडी धूप
हकबकायी औरतें
ढूंढ रहीं हैं
दौरी सूप
वे खोजतीं हैं आग
उन्हें पकानी है रसोईं
पतझड़ हो गई
औरतें
स्तनों के बीच
तलाशती
बच्चे
पूछती हैं
आतंकियों से
कहाँ मिलेंगे अब
कोनें जिनमें छुपती
थीं वे मार खाकर