कुछ लोग जब रचने में लगे हैं
कविता
करने में जुटे हैं प्रेम .
मारे गए
शस्त्रयुक्त
बिखरने के लिए
प्रतिबद्ध
निरपराध लोग !
जब आज लोग उठाते हैं
अभिव्यक्तियों के खतरे
.और उन खतरों पर होती है बहस!
मारे गए कुछ लोगों की
अभिव्यक्तियां
कर गयीं हैं काठ!
चुप क्यों है बहस !!
जो मारे गए वे थे कौन
क्यों मर गए ?
कौन सा जिला
कौन सा देश
कौन सा गावं था उनका !
कौन सा बचपन !
थे कौन से स्वप्न !
क्या पूछा उन्होंने या
कि बताया कि कैसे गिरगिट
चढ़ आया था कान तक !
क्या
कभी पूछा उन्होंने
ये प्रश्न संसद से
सरकार क्यों चैन से सोती है
सुरक्षित बेदाग़ बेहिसाब ! !
है समर्थ जो
सहर्ष करती है फैसले .
जीने मरने वालों पर
सम भाव से !
या क्या कभी पूछा हमने !!