लमहा -लमहा

अब वक़्त आ गया है कि तुम उठो और अपनी ऊब को आवाज़ दो

मंगलवार, 18 अगस्त 2009




प्रस्तुतकर्ता प्रज्ञा पांडेय पर 12:41 am 11 टिप्‍पणियां:
लेबल: उस पार जिया है मेरा
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मैं नीर भरी .........

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प्रज्ञा पांडेय
लखनऊ, उत्तर प्रदेश, India
कि सघन वेदना के अंतिम कण फटने से ज़रा पहले जब तुमने मुझे देखा! भर आई आँख के एक पानी से मेरा जन्म हुआ..
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कहाँ तो तय था चराग हरेक घर के लिए .कहाँ चराग मयस्सर नहीं शहर के लिए यहाँ दरख्तों के साए में धूप लगाती है चलो चलें यहाँ से उम्र भर के लिए .

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