शनिवार, 15 मई 2010

घर होती हैं औरते सराय होती हैं


 घर होती   हैं औरते 
                  सराय होती हैं. 
                  अन्नपूर्णा  होती हैं  
                 पुआल  होती है .
ओढना बिछौना सपना  
 मचान होती हैं .
 दुआर  दहलीज  तो  होती हैं 
 सन्नाटा सिवान होती हैं.
खलिहान और अन्न तो होती  हैं 
अक्सर  आसमान होती हैं .
कच्ची मिट्टी घर की भीत
  थूनी  थवार होती हैं .
 बारिशी  दिनों में ओरी से चूती हैं 
पोखर होती हैं सेवार होती हैं . 
अक्सर बंसवार होती हैं .
औरते बंदनवार होती हैं .
छूने पर छुई मुई तो होती है 
 तूफानों  में  
  खेवयिया होती हैं
 पतवार होती हैं. 

53 टिप्‍पणियां:

  1. अति सुंदर
    बिम्ब बिम्ब अर्थ जड़े
    मनोहारी भाव कढ़े
    बधाई

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  2. औरत का अच्छा चित्रण किया है।बधाई!

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  3. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  4. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  5. har pankti mein aurat ki ek paribhasha hai.auraten aisi hoti jaroor hain ,magar unki sankhya bahut kam hai. aaj ke parivesh mein to lagbhag na ke barabar.yadi aaj se keval 40 saal pahle ki auraton ko dhayan mein rakhkar kavita padhi jaaye to har aurat mein yah chehra dikhta tha.aaj chirag kya petromax lekar dhoodhne par kaheen shayad hi koi aurat aisi mile.khair, kavita ne mujhe apne bachpan mein dekhi aur mili bahut si un striyon se milvaya jo sachmuch is kavita ki tarah hi hoti theen.
    krishnabihari

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  6. प्रज्ञा जी ! अच्छी रचना । औरत के बहुआयाम रचना को विशिष्ट करती है ।

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  7. बहुत सुन्दर रचना .....औरत शब्द अपने-आप में महान है , संसार की जन्मदात्री औरत के हर रूप को सलाम ...आपकी इस रचना में शब्दों का चयन भी श्रेष्ठ है ....बहुत अच्छी कविता ....

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  8. तूफानों में

    खेवयिया
    पतवार होती हैं.
    spsht bhav khubsurat
    maangaye aap ke shabd kosh ko waaaaaaaaaaaaaaah 10/10

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  9. छूने पर छुई मुई होती है
    तूफानों में पतवार होती है ...
    औरत ऐसी ही होती हैं ...
    अच्छी कविता ..!!

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  10. Aurat ke samman main likhi gayee yeh khubsurat rachna aapka man ke khubsurti darshati hai.kitne manmohak shabd...kitna piyara chitran. Auraten sarai hoti hain....Auraten bandanwar hoti hain........Dil ko chune wale vichar.... ati uttam

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  11. बहुत सुंदर चित्रण के साथ.... बहुत अच्छी लगी यह कविता....

    --
    www.lekhnee.blogspot.com


    Regards...


    Mahfooz..

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  12. prgya
    jha n phuche rvi wha phuche kvi wala muhavra chritrarth ho rha hai aap pr .ek ourt hi ourt ko itne vyapk phlk pr utar skti hai. atisunder.
    ab aage kya?

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  13. बहुत सुंदर और बहुत खूब - सोलह आने सही

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  14. कहीं न कहीं कुछ दर्द है .. कुछ आक्रोश है इस रचना में ...
    मुझे लगता है औरतें साहस भी हैं ... शक्ति भी हैं ... आधुनिक भी आईं और इतिहास की थाती भी हैं .... बौट अच्छा लिखा है आपने ...

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  15. purn viram k liye shift+\ dabaiyega auchha nahi lg raha uske bina post ||||||
    yaa copy past kr len

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  16. औरते बंदनवार होती हैं .
    छूने पर छुई मुई तो होती है
    तूफानों में
    खेवयिया होती हैं
    पतवार होती हैं.
    ...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई.


    ________________________
    'शब्द-शिखर' पर ब्लागिंग का 'जलजला'..जरा सोचिये !!

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  17. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति....औरत ही है जो हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेती है ...

    आपकी ये पोस्ट मंगलवार को चर्चा मंच में शामिल की है

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  18. बहुत खूबसूरती से लिखा है ,
    दीदी || पढकर बहुत अच्छा लगा ||

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  19. आपकी रचना चर्चा मंच पर ...

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/05/163.html

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  20. अति सुन्दर .. औरत को इतनी उपमाओं से सजाकर एक बहुत सुन्दर रचना प्रस्तुत की है आपने !

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  21. dher sari upmaayen de daaleen ...ya yun kahun ek vrihad paribhsha ko likh dala hai aapne..behad achhi rachna

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  22. बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बुआ...बहुत ही सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है...बहुत समय और लगन की आवश्यकता है ऐसी कविता को लिखने के लिए...औरत की इज्ज़त बढ़ जाएगी यदि इसको सभी को पढाया जाये

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  23. बहुत सुन्दर रचना
    पर अक्सर औरतें लहुलुहान होती हैं

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  24. घर होती हैं औरते
    सराय होती हैं. ..
    आँखों में सपने लिए ,हाथों से दीवारों की ईंट रखती ,
    औरत खुद घर हो जाती है ,इतनी वस्तुगत की जो चाहे भूमिका दे दो !!!
    प्रज्ञा ये दुःख की सीवनें मत उधेडिये ! तकलीफ होती है ! कविता के मर्म को छू कर मूर्तिमान कर देना आपके कविता की विशेषता है ! अनंत शुभकामनायें !

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  25. औरत को
    यूं
    अलग-अलग रूपों में
    चित्रित कर
    सोचना
    लिखना
    पढ़ना
    अच्छा लगता है .

    अच्छी कृति .

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  26. छूने पर छुई मुई तो होती है
    तूफानों में
    खेवयिया होती हैं
    पतवार होती हैं.
    ...........
    वाह !!! कितनी परिभाषाएं हैं यार एक बेचारी स्त्री की ? तुमने तो पूरा उपनिषद रच दिया !!! तुम्हारी कविता मे बहुत सारे रंग हैं कुछ चटख भी कुछ धूसर भी ...., बधाई सुंदर रचना के लिए ।

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  27. प्रज्ञा जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आना सफल हुआ आपकी कविता बेमिसाल लगी. स्त्री मन की व्यथा
    शब्द दर शब्द परत दर परत अपनी ही कथा कह रही है

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  28. kshaka kariye...

    auraten ghar nahee,
    ghar kee atma hotee hain.
    ve banjar jameen men bhee
    asha kee fasalen botee hain.

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  29. अति सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति!! देर से देख पाया.

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  30. ..छूने पर छुई मुई तो होती है
    तूफानों में
    खेवयिया होती हैं
    पतवार होती हैं.
    ..औरत को इस तरह परिभाषित करना सबसे अच्छा लगा.

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  31. छूने पर छुई मुई तो होती है
    तूफानों में
    खेवयिया होती हैं
    पतवार होती हैं.

    - शत प्रतिशत सही.

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  32. प्रज्ञा जी आपके ब्‍लाग पर पहली बार आना हुआ। आपकी औरत विषयक कविता बहुत अच्‍छी लगी। औरत के औरों रूपों को भी चित्रित करें। मेरे ब्‍लाग
    http://gullakapni.blogspot.com गुलमोहर में भी औरत विषयक मेरी कविताएं हैं। कभी अवसर मिले तो जरूर देखें।

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  33. Pragya jee,pahlibar apke blog par aaya hun.lekin apki rachnaon ne sammoheet sa kar diya hai mujhe.aapne aikbar mujhe kaha tha ki aap sirf aik grihani hai aur padne ka shok rakhati hai.aapki rachnadharmita ne mujhe mook kar diya hai.aapki ye rachna jeevan ke kisi bhi mode par nari ke mahatwa ko behad khubasoorti se rekhankit karti gai hai.Rajiv

    जवाब देंहटाएं
  34. Pragya jee,pahlibar apke blog par aaya hun.lekin apki rachnaon ne sammoheet sa kar diya hai mujhe.aapne aikbar mujhe kaha tha ki aap sirf aik grihani hai aur padne ka shok rakhati hai.aapki rachnadharmita ne mujhe mook kar diya hai.aapki ye rachna jeevan ke kisi bhi mode par nari ke mahatwa ko behad khubasoorti se rekhankit kar gai hai.Rajiv

    जवाब देंहटाएं
  35. Pragya Ji,

    Sunder Rachna ke liye badhaai, Aur shabdon ka chayan aur prayog badi khubsurti se kiya hai.
    Surinder Ratti

    जवाब देंहटाएं
  36. अजीब शै न औरत ....शायद खुदा कुछ रख देता है उसके भीतर ....जो इतने लिटमस टेस्ट से गुजर कर भी ..खड़ी रहती है घर को थामे ...एक साधारण औरत भी असाधरण परिस्तिथियों में असाधारण हो जाती है......

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  37. तुमने मन की गांठें और फुलवारियां एक साथ उकेर दिन यहाँ ..प्रज्ञा

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  38. वाह........वाह.......सुन्दर पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें।

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  39. थूनी थवार होती हैं .
    aise hi kuch shabd samajh se pare rahe ..

    aapki kai kavitayen padhii har kisi par comment karna to muskil hai mere liye lekin ye jaroor kahunga ki aapka lekhan kafii prabhavi hai
    bandhai swikaren

    जवाब देंहटाएं
  40. kahe ki ye shauarte jab ghat rahi hai Aurate ? bahut hi badiya kavita hai ye

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  41. kahe ki ye shauarte jab ghat rahi hai Aurate ? bahut hi badiya kavita hai ye

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  42. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin

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